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भारतीय नौसेना पहले स्वदेशी गोताखोरी सहायता पोत – ‘निस्तार’ को बेड़े में शामिल करेगी

भारतीय नौसेना 18 जुलाई, 2025 को विशाखापत्तनम स्थित नौसेना डॉकयार्ड में विशेष श्रेणी के पहले गोताखोरी सहायता पोत (डीएसवी) निस्तार को कमीशन करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस अवसर पर माननीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित रहेंगे। यह कार्यक्रम इस पोत को औपचारिक रूप से शामिल करने का प्रतीक है, जिसे विशाखापत्तनम के मेसर्स हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और तैयार किया गया है। जलावतरण के बाद यह जहाज गहरे समुद्र में गोताखोरी और पनडुब्बी बचाव कार्यों में सहायता के लिए पूर्वी नौसेना कमान में शामिल हो जाएगा।

यह पोत रक्षा उत्पादन में स्वायत्तता और आत्मनिर्भरता पर अटूट ध्यान देने के माध्यम से राष्ट्र निर्माण पर भारत सरकार के दृढ़ विश्वास का प्रमाण है। इस महत्वाकांक्षी, अद्वितीय और अत्याधुनिक पोत के निर्माण में कुल 120 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों ने भाग लिया है, जिसमें 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। यह परियोजना जटिल स्वदेशी जहाजों के डिजाइन और निर्माण के भारतीय नौसेना के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

निस्तार अपने पूर्व अवतार में एक पनडुब्बी बचाव पोत था, जिसे भारतीय नौसेना ने 1969 में तत्कालीन सोवियत संघ से प्राप्त किया था और 1971 में कमीशन किया गया था। इसने दो दशकों की सेवा में भारतीय नौसेना के गोताखोरी और पनडुब्बी बचाव कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस जहाज के सेवारत होने के साथ ही निस्तार की विरासत आगे बढ़ती रहेगी, इसका आदर्श वाक्य ‘सुरक्षित यथार्थ शौर्यम्’ है, जिसका अर्थ है ‘सटीकता एवं बहादुरी के साथ बचाव’, और यह जहाज की मुख्य भूमिकाओं को सटीकता के साथ दर्शाता है।

गोताखोरी सहायता पोत में लगभग 120 मीटर की लंबाई और 10,000 टन से अधिक भार विस्थापन के साथ डायनामिक पोजिशनिंग सिस्टम का उपयोग करके अत्यधिक विशुद्धता के साथ अपनी स्थिति बनाए रखने की क्षमता है। इस जहाज पर विशाल डाइविंग कॉम्प्लेक्स मौजूद है, जिसमें एयर एंड सैचुरेशन डाइविंग सिस्टम भी है, साथ ही पानी के अंदर रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (आरओवी) और साइड स्कैन सोनार भी लगाया गया है, जो जहाज के परिचालन क्षेत्र को काफी हद तक बढ़ाता है। इस पोत को गहरे जलमग्न बचाव वाहन (डीआरवी) के लिए ‘मदर शिप’ के रूप में शामिल करने से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी बचाव तैयारियों में एक बड़ी क्षमता वृद्धि होगी।

इस जहाज में ऑपरेशन थियेटर, गहन चिकित्सा इकाई, आठ बिस्तरों वाला अस्पताल और हाइपरबेरिक चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जो इसकी परिचालन भूमिकाओं को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

स्वदेशी गोताखोरी सहायता पोत में समुद्र के अंदर 60 दिनों से अधिक समय तक टिके रहने की क्षमता, हेलीकॉप्टर के माध्यम से परिचालन करने की सुविधा है और 15 टन का समुद्री क्रेन इस जहाज को एक बहुत ही सहायक बहुमुखी प्लेटफार्म बनाते हैं।

निस्तार के जलावतरण और भारतीय नौसेना की पूर्वी नौसेना कमान में इसके शामिल होने से न केवल समुद्र के भीतर भारत की सैन्य ताकत बढ़ेगी, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में इसकी सामरिक समुद्री स्थिति भी पहले से कहीं अधिक सशक्त होगी।

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